फिल्मी दुनिया में किसी भी किरदार को दमदार बनाने में सबसे अधिक भार अगर किसी पर होता है तो वह है स्क्रिप्ट राइटर, संवाद लेखक और गीतकार। आज हम एक ऐसी ही शख्सियत के बारे में चर्चा करेंगे उनका बॉलीवुड इंडस्ट्री में बहुत सम्मान के साथ नाम लिया जाता है और वो है जावेद अख्तर।
जावेद अख्तर कवि गीतकार और स्क्रिप्ट राइटर भी है। फिल्मी दुनिया के सफर में अब तक वह फिल्म इंडस्ट्री को कई बेहतरीन फिल्में, गीत और डायलॉग्स प्रदान कर चुके हैं। प्रारंभ में उन्होंने सलीम खान के साथ जोड़ी के तौर पर काम करना शुरू किया। बॉलीवुड इंडस्ट्री में लेखकों की यह पहली जोड़ी थी जिसे स्टार्स जैसा सम्मान मिलता था। सलीम जावेद दोनों ने मिलकर लगभग 24 फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी और उनमें से लगभग 20 फिल्में सुपरहिट हुई। एक समय ऐसा आया कि दोनों अलग हो गए। आज बॉलीवुड इंडस्ट्री में काम करते हुए जावेद अख्तर को 50 सालों से अधिक का समय हो चुका है।
जावेद अख्तर का जन्म 17 जनवरी 1945 को ग्वालियर में हुआ। इनके पिता अपने समय के एक प्रगतिशील कवि थे नाम था जानिसार अख्तर और इनकी माता भी उर्दू की लेखिका और अध्यापिका थी जिनका नाम था सफिया अख्तर। बचपन में उनके माता-पिता ने इन्हें जादू कहकर पुकारा करते थे | यह नाम इनको इनके पिता द्वारा लिखी गई कविता की एक पंक्ति “लम्हा लम्हा किसी जादू का फसाना होगा” से लिया गया ।
माता पिता का साहित्य से जुड़ाव होने के इनके घर में हर वक्त साहित्य का ही माहौल रहता था जिसका इनके मनोमस्तिष्क पर गहरा असर पड़ा| एक मशहूर शायर मजाज, जावेद अख्तर के मामा लगते हैं। इतना सब तो अच्छा था मगर बचपन में ही है इनकी माता का देहांत हो गया और इनके पिता ने दूसरी शादी कर ली। उसके बाद इन्हें अपने नाना नानी के घर अलीगढ़ आना पड़ा और वही के स्कूल से उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई।
जावेद अख्तर की बचपन में ही उनकी मां का देहांत हो गया था और उसके बाद उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली। अपनी मां के देहांत के बाद और कुछ समय अपनी सौतेली मां के साथ बिताने के बाद जावेद अख्तर अपने नाना नानी के घर लखनऊ आकर रहने लगे। उसके बाद इनको इनके मासी के घर भेज दिया गया यही के स्कूल से इनकी प्रारंभिक शिक्षा शुरू हुई। कुछ समय अपनी मासी के घर बिताने के पश्चात वह भोपाल चले गए वहीं उन्होंने सोफिया कॉलेज भोपाल से कला में अपनी स्नातक की पढ़ाई को पूरा किया।
पूरा नाम | जावेद अख्तर |
उपनाम | जादू |
जावेद अख्तर की जन्मतिथि | 17 जनवरी 1945 |
जावेद अख्तर की आयु | 77 वर्ष |
जावेद अख्तर का जन्म स्थान | ग्वालियर मध्य भारत एजेंसी ब्रिटिश भारत |
जावेद अख्तर की राष्ट्रीयता | भारतीय |
जावेद अख्तर का मूल निवास स्थान | खनऊ उत्तर प्रदेश |
जावेद अख्तर के स्कूल का नाम | ज्ञात नहीं |
जावेद अख्तर के महाविद्यालय का नाम | सैफिया कॉलेज भोपाल |
जावेद अख्तर की शैक्षणिक योग्यता | कला में स्नातक |
जावेद अख्तर का धर्म | नास्तिक |
जावेद अख्तर का शौक | क्रिकेट देखना |
जावेद अख्तर की वैवाहिक तिथि | 9 दिसंबर 1984 शबाना आज़मी के साथ |
जावेद अख्तर का व्यवसाय | गीतकार पटकथा लेखक और कवि |
जावेद अख्तर की प्रति गीत आय | 10 से 15 लाख रुपए |
जावेद अख्तर की कुल संपत्ति | 200 करोड़ रुपए के लगभग |
जावेद अख्तर की लंबाई | 5 फुट 5 इंच |
जावेद अख्तर का वजन | 75 किलोग्राम |
जावेद अख्तर की आंखों का रंग | गहरा भूरा |
जावेद अख्तर के बालों का रंग | सफेद |
जावेद अख्तर के पिता का नाम | जांनिसार अख्तर |
जावेद अख्तर की मां का नाम | सफिया अख्तर |
जावेद अख्तर के भाई का नाम | सलमान अख्तर शाहिद अख्तर |
जावेद अख्तर की बहन का नाम | उनेजा अख़तर और अल्बीना अख्तर |
जावेद अख्तर की पत्नियों के नाम | जावेद अख्तर की पहली पत्नी का नाम हनी ईरानी वर्ष 1972 से 1985, जावेद अख्तर की दूसरी पत्नी का नाम शबाना आज़मी |
जावेद अख्तर के बच्चों का नाम | बेटा फरहान अख्तर, बेटी जोया अख्तर |
जावेद अख्तर का पहली पत्नी से तलाक | वर्ष 1985 |
जावेद अख्तर लेखन के तौर पर अपनी शुरुआत सरहदी लुटेरा से की। इस फिल्म के लिए निर्देशक एसएम सागर को बहुत प्रयत्न करने के बावजूद कोई संवाद लेखक नहीं मिल पा रहा था बात करते-करते जब वह जावेद अख्तर तक पहुंचे तो संवाद लेखन का काम उन्होंने जावेद अख्तर को ही सौंप दिया और जावेद अख्तर ने भी तुरंत हां कर दी।
उस फिल्म में सलीम खान का एक छोटा सा रोल था। यहीं से दोनों की दोस्ती हो गई | क्योंकि सलीम खान को भी लेखन का कुछ अनुभव था तो इसलिए वह जावेद अख्तर को समय-समय पर कुछ सुझाव दिया करते थे, जिसके ऊपर जावेद अख्तर संवाद लिखते थे। धीरे धीरे बॉलीवुड में इन दोनों की जोड़ी सलीम जावेद के नाम से मशहूर हो गई।
जावेद अख्तर के करियर की वर्ष 1973 में आई फिल्म जंजीर एक बेंच मार्क साबित हुई। इस फिल्म के डायलॉग आम जनता में भी लोकप्रिय हो गए और इसी फिल्म से अमिताभ बच्चन का अभिनय पूर्ण रूप से उभर कर सामने आया जिससे उनको भी एक नई पहचान मिली। सलीम जावेद दोनों ने मिलकर बॉलीवुड इंडस्ट्री में वर्ष 1971 से वर्ष 1984 तक लगभग 24 हिट फिल्में दी। जिनमें से लगभग 20 फिल्में सुपरहिट रही। वर्ष 1987 में आई फिल्म मिस्टर इंडिया के बाद सलीम जावेद की जोड़ी अलग हो गई और जावेद अख्तर स्वंतंत्र रूप से संवाद लेखन, गीतकार के कार्य को जारी रखा।
नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स द्वारा वर्ष 1996 से 2001 तक 5 बेस्ट लिरिक्स अवार्ड्स
फिल्म फेयर अवॉर्ड्स द्वारा 5 बेस्ट लिरिक्स बोर्ड
फिल्म फेयर अवॉर्ड्स द्वारा बेस्ट डायलॉग अवार्ड
मिर्ची म्यूजिक अवॉर्ड्स द्वारा 2 लिरिसिस्ट ऑफ द ईयर अवार्ड
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड
भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार वर्ष 1999
भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण पुरस्कार वर्ष 2007
साहित्य अकैडमी अवॉर्ड उर्दू वर्ष 2013
जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी द्वारा हाॅनररी डॉक्टरेट वर्ष 2019
रिछेड़ डॉकिंस अवार्ड वर्ष 2020
तुमको देखा तो यह ख्याल आया | संदेशे आते हैं |
चेहरा है या चांद खिला है | तेरे लिए हम हैं जिए |
आवारा भवरे जो होले होले गाए | तारे हैं बाराती |
दो पल रुका ख्वाबों का कारवां | कल हो ना हो |
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा | घर से निकलते ही |
मेरे महबूब मेरे सनम | पंछी नदिया |
चांद तारे | मितवा सुन मितवा |
ख्वाबों के परिंदे | सेन्योरीता |
यह कहां आ गए हम | 123 |
कोई कहे कहता रहे | राधा कैसे ना जले |
यूं ही चला चल राही | इन लम्हों के दामन में |
जो डर गया, समझो मर गया |
डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।
मोगैंबो, खुश हुआ।
यह वह जमाना है के तुम, आहिस्ता से सच बोलोगे तो कोई नहीं मानेगा और जोर से झूठ बोलोगे तो सब मान लेंगे।
मैं और मेरी तन्हाई, अक्सर यह बातें करते हैं तुम होती तो कैसा होता।
तुम अपने रास्ते पर चलते रहो, चलते रहो, एक दिन दुनिया उसी रास्ते पर आ जाएगी।
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